महानवमी की शुभकामनाएं,आइए जाने नवरात्रों के अद्भुत रहस्य, आप नहीं जानते शायद


नवरात्रि के आगमन से संपूर्ण वातावरण आनंदित हो उठता है. नवरात्रि अपने आप में अद्भुत रहस्य को छुपाए  हुए हैं प्रत्यक्ष प्रमाण है कि कलियुग में भी मां के भक्तों की संख्या कम नहीं है इसे मां दुर्गा का अद्भुत रहस्य ही कहा जाएगा, आज भी संसार में निरंतर बढ़ती बुराईयों के बीच भी भक्तजनों की श्रद्धा में कमी नहीं आई है. अधिकतर लोग नवरात्र के आंरभ से कई माह पहले ही पूजा, कींर्तन और व्रत की तैयारियां कर लेते हैं, उनके मन में नवरात्रों को लेकर एक अलग ही उत्साह देखने को मिलता है. इन सभी बातों के साथ ही अधिकतर लोगों में विभिन्न प्रकार की धार्मिक कहानियों और मान्यताओं के बारे में जानने की इच्छा हमेशा रहती है. इसी तरह मां दुर्गा के विशेष पर्व नवरात्र से जुड़ी हुई कहानियां सभी का ध्यान अपनी ओर खींचती हैं. विभिन्न पुराणों में नवरात्र को मनाने के पीछे काफी कथाएं मिलती है. उनमें से कई कहानियां आज भी लोगों में काफी लोकप्रिय है.
हिन्दू त्योहार नवरात्रि उत्सव के समय उपवास, पूजा, साधना, सिद्धि और भजन किया जाता रहा है। आओ जानते हैं नवरात्रि के 9अद्भुत रहस्य।


पहला रहस्य :
36 रात्रियां : नवरात्रि वर्ष के महत्वपूर्ण चार पवित्र माह में आती है। यह चार माह है:- चैत्र, आषाढ़, अश्विन और पौष। चैत्र माह में चैत्र नवरात्रि जिसे बड़ी नवरात्रि या वसंत नवरात्रि भी कहते हैं। आषाढ़ और पौष माह की नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि कहते हैं। अश्‍विन माह की नवरात्रि को शारदीय नवरात्रि कहते हैं।


दूसरा रहस्य:
9 छिद्र : हमारे शरीर में 9 छिद्र हैं। दो आंख, दो कान, नाक के दो छिद्र, दो गुप्तांग और एक मुंह। उक्त नौ अंगों को पवित्र और शुद्ध करेंगे तो मन निर्मल होगा और छठी इंद्री को जाग्रत करेगा। नींद में यह सभी इंद्रियां या छिद्र लुप्त होकर बस मन ही जाग्रत रहता है। (वर्ष की 36 नवरात्रियों में उपवास रखने से अंग-प्रत्यंगों की पूरी तरह से भीतरी सफाई हो जाती है।)



 नवरात्रि में दुर्गा के नौ स्वरूपों की आराधना से शांत हो जाते हैं नवग्रहों के प्रकोप
तीसरा रहस्य:
पूर्ण संयम : इन नौ दिनों में मद्यमान, मांस-भक्षण और स्‍त्रिसंग शयन वर्जित माना गया है। जो व्यक्ति ऐसा अपराध करता है निश्‍चित ही वह माता के प्रति असम्मान प्रकट करता है। उपवास में रहकर इन नौ दिनों में की गई हर तरह की साधनाएं और मनकामनाएं पूर्ण होती है।
 
चौथा रहस्य :
पवित्र है ये रात्रियां : नवरात्र शब्द से 'नव अहोरात्र' अर्थात विशेष रात्रियों का बोध होता है। इन रात्रियों में प्रकृति के बहुत सारे अवरोध खत्म हो जाते हैं। दिन की अपेक्षा यदि रात्रि में आवाज दी जाए तो वह बहुत दूर तक जाती है। इसीलिए इन रात्रियों में सिद्धि और साधना की जाती है। (इन रात्रियों में किए गए शुभ संकल्प सिद्ध होते हैं।)


पांचवां रहस्य :
9 देवियां : शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी, सिद्धिदात्री का पूजन विधि विधान से किया जाता है। कहते हैं कि कात्यायनी ने ही महिषासुर का वध किया था इसलिए उन्हें महिषासुरमर्दिनी भी कहते हैं। (दुर्गा सप्तशती के अनुसार इनके अन्य रूप भी हैं:- ब्राह्मणी, महेश्वरी, कौमारी, वैष्णवी, वाराही, नरसिंही, ऐन्द्री, शिवदूती, भीमादेवी, भ्रामरी, शाकम्भरी, आदिशक्ति और रक्तदन्तिका।)


 
छठा रहस्य :
नौ भोग और औषधि : शैलपुत्री कुट्टू और हरड़, ब्रह्मचारिणी दूध-दही और ब्राह्मी, चन्द्रघंटा चौलाई और चन्दुसूर, कूष्मांडा पेठा, स्कंदमाता श्यामक चावल और अलसी, कात्यायनी हरी तरकारी और मोइया, कालरात्रि कालीमिर्च, तुलसी और नागदौन, महागौरी साबूदाना तुलसी, सिद्धिदात्री आंवला और  शतावरी|


सातवां रहस्य :
अलग अलग देवियां : देवियों में त्रिदेवी, नवदुर्गा, दशमहाविद्या और चौसठ योगिनियों का समूह है। आदि शक्ति अम्बिका सर्वोच्च है और उसी के कई रूप हैं। सती, पार्वती, उमा और काली माता भगवान शंकर की पत्नियां हैं। (अम्बिका ने ही दुर्गमासुर का वध किया था इसीलिए उन्हें दुर्गा माता कहा जाता है।)
 
आठवां रहस्य :
दशमहाविद्याएं : नवदुर्गा में दशमहाविद्याओं की भी पूजा होती है। इनके नाम है-1. काली, 2. तारा, 3. छिन्नमस्ता, 4. षोडशी, 5. भुवनेश्वरी, 6. त्रिपुरभैरवी, 7. धूमावती, 8. बगलामुखी, 9. मातंगी और 10 कमला। 
 
नौवां रहस्य :
देवियों की पहचान :प्रत्येक देवी को उनके वाहन, भु्जा और अस्त्र-शस्त्र से पहचाना जाता है। जैसे अष्टभुजाधारी देवी दुर्गा और कात्यायनी सिंह पर सवार हैं तो माता पार्वती, चन्द्रघंटा और कुष्मांडा शेर पर विराजमान हैं। शैलपुत्री और महागौरी वृषभ पर, कालरात्रि गधे पर और सिद्धिदात्री कमल पर विराजमान हैं।.